हमारी वाणी

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Tuesday, 1 May 2012








मै हूँ  .....

जिंदगी के कुछ पन्ने उधार है हम पे 
जब चाहे अपनी कलम से लिख देना ..मै हूँ  .....


रास्ते बहुत है बाकी अभी बतेरे मोड़ भी 
जब चाहे जिस मोड थाम लेना हाथ मेरा .. मै हूँ   .....


रकीबों रंजिशों से भरी है हर शे इस शेहेर की 
खड़ा हु आज भी वही बस मुड़ के देख लेना .. मै हूँ   ....


रेला भीड़ का है आज चारो और तेरे यहाँ 
जिस पल तनहा हो जाओ बस आवाज़ देना .. मै हूँ   ...


विनय ...४/४/१२ ....

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर विनय जी...मन खुश हो गया पढ़ कर.

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  2. पहली बार आपको पढ़ा भविष्य में भी पढना चाहूँगा इसीलिए आपका फोल्लोवेर्स बन रहा हूँ !
    विनय जी कभी समय मिले तो मेरे ब्लॉग आदत मुस्कुराने की पर भी पधारे और अपने अमूल्य विचार ज़रूर दें .....!!!धन्यवाद

    संजय भास्कर
    http://sanjaybhaskar.blogspot.in

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