चित्र भिन्न भिन्न प्रकार के
रंगो का मिश्रण मात्र नहीं ...
सोच के विभिन आयाम ..
रूप लेते है ..
बनते है बिगडते है ..
रेखा चित्र तब ..
एक रूप ले के ..
पृष्ठ पर उभरते है ...
कुछ आड़ी तिरछी आकृतियाँ ..
जीवन के पड़ाव ..
पड़ाव के भिन्न भिन्न...
स्वरूप उनके रंग ..
पीड़ा के ,,,
आंनंद के ..
उद्वेग के ...
निस्वार्थ के ...
लगाव के ...
मूक ....
फिर भी चंचल ...
शांत ..
स्थिर ...
गूँज बन के ..
फ़ैल जाते है पृष्ठ पे ....
आइने की भांति ...
अक्स खिंच देते है ...
अनकहे सभी सवालों को ...
बिन कहे ही हल देते है ....
चित्र भिन्न भिन्न प्रकार के ...
निरंतर यह चक्र ..
समय सा चलता है ..
बिना विश्राम लिए ...
धुरी से बंधा घूमता ...
स्याह सफ़ेद होता ..
चित्र भिन्न भिन्न प्रकार के .....
विनय .. २३/५/२०१२ .........
बहुत सुंदर................
ReplyDeleteबहुत बहुत प्यारी रचना....
अनु
शुक्रिया अनु जी ..होंसला बड़ाने के लिए
Deleteसार्थक सोच लिये खूबसूरत भावों को दर्शाती सुन्दर रचना ........आभार
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