....... अभिनन्दन बसंत अभिनन्दन .............
दूर सदूर बंजर पहाड़ो पे
गिरी जब बसंती पहली धूप
गुदगुदाती सी धरा ली झूम
सूरज आज तीखा तेज नहीं है
नरम है धरा की गोद में
पड़ा बिज थोडा गरम है
अंगड़ाई ले के निकल आया जो
हरयाली को होले से बुलाया जो
बयार बसंत भी रुक न पाई
झूले सावन ने ली अंगड़ाई
देखो कोम्पले फूटने लगी है
धरा की हथेलियों पे खिलने लगी है
ले के रंगों की फुहार
जैसे गेसुओं में भीनी भीनी
खुशबुओं की बोछार
अब धरा रुक नहीं पाती
पते पते में सूरज की जगी है बाती
खिले है गुल हज़ार
लो आज आ गया
झूमता बसंत बहार ...
अठखेलियाँ अब न थमेगी
सहेलियां बाग में झुला पगेंगी ..
मुस्कराहटों का गरम है बाज़ार
आ जाओ धरा बुलाती है
मंद मंद सूरज के संग
बयार झूल जाती है
छोड़ो सब सारे अवसाद
फेंक दो पुराने रंज जो लिए थे उधार
गले लगा लो
देखो फैले है
कितने रंग हज़ार
हाँ आ गया है
आज बसंत मेरे यार ..बसंत मेरे यार ......बसंत मेरे यार ...................
विनय ...२१/०२/१२ ....७:२० साँझ.
दूर सदूर बंजर पहाड़ो पे
गिरी जब बसंती पहली धूप
गुदगुदाती सी धरा ली झूम
सूरज आज तीखा तेज नहीं है
नरम है धरा की गोद में
पड़ा बिज थोडा गरम है
अंगड़ाई ले के निकल आया जो
हरयाली को होले से बुलाया जो
बयार बसंत भी रुक न पाई
झूले सावन ने ली अंगड़ाई
देखो कोम्पले फूटने लगी है
धरा की हथेलियों पे खिलने लगी है
ले के रंगों की फुहार
जैसे गेसुओं में भीनी भीनी
खुशबुओं की बोछार
अब धरा रुक नहीं पाती
पते पते में सूरज की जगी है बाती
खिले है गुल हज़ार
लो आज आ गया
झूमता बसंत बहार ...
अठखेलियाँ अब न थमेगी
सहेलियां बाग में झुला पगेंगी ..
मुस्कराहटों का गरम है बाज़ार
आ जाओ धरा बुलाती है
मंद मंद सूरज के संग
बयार झूल जाती है
छोड़ो सब सारे अवसाद
फेंक दो पुराने रंज जो लिए थे उधार
गले लगा लो
देखो फैले है
कितने रंग हज़ार
हाँ आ गया है
आज बसंत मेरे यार ..बसंत मेरे यार ......बसंत मेरे यार ...................
विनय ...२१/०२/१२ ....७:२० साँझ.
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