हमारी वाणी

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Friday, 9 December 2011

यादों की तस्वीरे ....


कैद है कुछ यादों की तस्वीरे  
जो सुलगती है .. पिघलती नहीं ..
नश्तर से चुभ जाये दिल में 
फाहों से जा लगती  वही 
अक्स में तैरे वहां 
पर सामने घुलती  नहीं ...
ढल जाये मोम से 
पर फिर भी पिघलती नहीं ...
सुर्ख तपते फर्श पर 
जहाँ पावँ भी न रख पाओगे 
रखते ही तले पैर के 
क्यों वहां जमते नहीं ...
सर्द शीत तेरी याद 
बर्फ सी बन जाती क्यों 
कितना भी कुरेदू फिर वहां 
यादे क्यों पिघलती नहीं .... 
कैद है कुछ यादों की तस्वीरे 
जो सुलगती है ..पिघलती नहीं .......

विनय ...१२/११/२०११

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