हमारी वाणी

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Friday, 9 December 2011

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दीवाने तेरी मुहब्बत के.. तेरी राहों से हम रोज़ गुज़रे 
मजार अपने कंधो पे रख.. गलिओं से तेरी गुज़रे !!

खंडर सजा के राहों में बैठे है संग दिल  तेरी  
की बहारे यार शायद.. एक दिन यही से गुज़रे !!

घुलते है टूटते है किनारे दिले नदिया के मेरे 
क्या पता कब... मेरा यार इस पार गुज़रे !!

देखा हमने भी तुमने भी,  रोज़ गर्दिश में आसमान सारा
में तो जान हार गुज़रा .. तुम .. दिल ही हार गुज़रे !! 

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