हमारी वाणी

www.hamarivani.com

Monday 18 June 2012

खँडहर


खँडहर

ख्वाबों का खँडहर ..
तलहटी से चिपका ...
बेबाक सा उजड़ा हुआ ...
पर्खचों में तब्दील ...
खूंटी से बंधा ....
वक़्त के थपेड़ों से ..
जुझ्झता अपने ख़त्म होने का ..
इंतज़ार करता हुआ ....
पड़ा ...........

जिस पल एक मौज ...
आ चूम लेती...
होले से आ ...
आँखों में झांक लेती ....
ले चलती सफ़र पुराने ....
रंगीन उस घर के मुहाने ....
जहाँ खिलती थी ...
खुशियाँ ....
जिंदगी जिंदगी से ...
मिलती थी ....
आंगन में फूलों की ...
महक यहाँ वहां ...
किवाड़ के पीछे ...
मेरी रूह के अंचल के पीछे ...
मोतियों सी खिलखिलाती ...
अटखेलियों शोरोगुल मचाती ....

देख उनको भूल जाता था
नयी रौशनी सा भरा रोज़ ..
किवाड़ खोल सुबह निकल जाता था ....
दोने भर ख्वाबों से ....
चंद ही सही...
मिश्री के दाने से ...
हंसी संतोष के बहाने से ..
होंठों को सजा लाता था .....

न जाने पुरवाई कहाँ ......
बही ...
अंधड़ सी बन सब ले उडी ...
तिनके बिखर गये ...
चेहरों के रंग ..
बदल गये ....
बोझ बन हम ...
खूंटी पे तन गये ...
जून रोटी भी अब तो ...
भारी लगे ...
नश्तर सी गले में गाली लगे ...

सींचा था गुलाब ..
बबूल हो गया ...
लहरों पे जो चलता था ..
आज खँडहर हो गया ....
दूर ...
बहूत दूर...
ख्वाबों का खँडहर ..
तलहटी से चिपका ...
बेबाक सा उजड़ा हुआ ...
पर्खचों में तब्दील ...
खूंटी से बंधा ....
वक़्त के थपेड़ों से ..
जुझ्झता अपने ख़त्म होने का ..
इंतज़ार करता हुआ ....
पड़ा ...........


.... विनय ....

दिल में कुछ चुभे ऐसी कोई हरकत करो,
गोया कोई मुझे ढूँढने में मेरी मदद करो .....

No comments:

Post a Comment