रिश्तों की अजब सी भीड़ देखी
बिखरी बिखरी सी बेफिक्र जिंदगी देखी
छोटे छोटे टुकड़ों में तलाशती
प्यार के दाने चुनती देखी
माल के किसी कोने में सुकडी सी
गले में बाहों को डाले
लिफ्ट में फुसफुसाते सी देखी
प्यास दो पलों की
आँखों ही आँखों में पिघलती देखी
तेज़ रफ़्तार है बड़ी तेज़ धार है
उस धार पे उफ्फंती वोह मझधार देखी
पुलिंदे बांधे सिने में लगे
बसों की कतार में उमीदों में खड़ी
बड़ी बेबाक बेफिक्र वोह आस देखी
दोड़ती है मेट्रो की लाइनों पे
रोज़ सुबह शाम देर रात
सुलगती दहकती यार की हर शाम देखी
पार्क के किसी कोने में दुबकी
कार में सिट पे मुह ढके
सिमटी सी प्यारी सी
होंठों पे खिलती नन्ही मुस्कान देखी
शुक्र है अभी जिन्दा है
जिंदगी में डूबी जिंदगी की
रोज़ होती मुहब्बते आम देखी
न कभी बुझेगी न थमेगी
जो कल भी थी जो आज भी है
सांसों में जलती हीर की रांझे
रांझे की हीर ..
पे होती कुर्बान मेने जान देखी ..................
बिखरी बिखरी सी बेफिक्र जिंदगी देखी
छोटे छोटे टुकड़ों में तलाशती
प्यार के दाने चुनती देखी
माल के किसी कोने में सुकडी सी
गले में बाहों को डाले
लिफ्ट में फुसफुसाते सी देखी
प्यास दो पलों की
आँखों ही आँखों में पिघलती देखी
तेज़ रफ़्तार है बड़ी तेज़ धार है
उस धार पे उफ्फंती वोह मझधार देखी
पुलिंदे बांधे सिने में लगे
बसों की कतार में उमीदों में खड़ी
बड़ी बेबाक बेफिक्र वोह आस देखी
दोड़ती है मेट्रो की लाइनों पे
रोज़ सुबह शाम देर रात
सुलगती दहकती यार की हर शाम देखी
पार्क के किसी कोने में दुबकी
कार में सिट पे मुह ढके
सिमटी सी प्यारी सी
होंठों पे खिलती नन्ही मुस्कान देखी
शुक्र है अभी जिन्दा है
जिंदगी में डूबी जिंदगी की
रोज़ होती मुहब्बते आम देखी
न कभी बुझेगी न थमेगी
जो कल भी थी जो आज भी है
सांसों में जलती हीर की रांझे
रांझे की हीर ..
पे होती कुर्बान मेने जान देखी ..................