गुजरते ही नहीं यह लम्हे ..
इधर में हु की बहता जा रहा हूँ
रेत हु की पानी हु
वक़्त की बंद मुठिओं में
कैसे फिसलता जा रहा हूँ ...
कैसे समझोंगे नहीं जानता
पल पल बदलता ही जा रहा हूँ ....
न सोचा था न समझा था ..
ठहर सा में गया जो था
लगा की पा लिया उसको
वोह लम्हा ऐसा ही कुछ था
कब वोह गुज़र गया
पता भी न चला मुझको
खुद को बहता हुआ पाया
वोह दोजख वक़्त ही तो था
क्या कहता नहीं समझा
बड़ा ही अजीब सा मंजर हूँ
लुट के खुदी से खुद देखा
सौदैए जिंदगी से सस्ता हूँ
बस बहना ही सफ़र है अब तो
लहरें तुफानो का बाशिंदा हूँ .......................
इधर में हु की बहता जा रहा हूँ
रेत हु की पानी हु
वक़्त की बंद मुठिओं में
कैसे फिसलता जा रहा हूँ ...
कैसे समझोंगे नहीं जानता
पल पल बदलता ही जा रहा हूँ ....
न सोचा था न समझा था ..
ठहर सा में गया जो था
लगा की पा लिया उसको
वोह लम्हा ऐसा ही कुछ था
कब वोह गुज़र गया
पता भी न चला मुझको
खुद को बहता हुआ पाया
वोह दोजख वक़्त ही तो था
क्या कहता नहीं समझा
बड़ा ही अजीब सा मंजर हूँ
लुट के खुदी से खुद देखा
सौदैए जिंदगी से सस्ता हूँ
बस बहना ही सफ़र है अब तो
लहरें तुफानो का बाशिंदा हूँ .......................
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