चलो अब घर चलें , दिन भी चला गया ...............
नए नए रंग सारे बदल गया ...
धरा की गोद में सुबह चुप चाप आया
नीले अम्बर में था उसने प्रकाश बिछाया
सन्देश उसने बस यही सुनाया
न नापो न तोलो बस सब के साथ एक सा हो लो
में भी तो सब पे धुप दे जाता हु
फरक नहीं दिखलाता हु
अँधेरे दूर भगा के उजालों का संगीत सुनाता हु
तुम भी करो दूर सब कालिमा
द्वेष दंश छलकपट की मत करो प्रपंच्मा
सौहार्ध्य से सब को गले लगा लो
मुस्कान से जीवन को सवारो..........
नए नए रंग सारे बदल गया ...
धरा की गोद में सुबह चुप चाप आया
नीले अम्बर में था उसने प्रकाश बिछाया
सन्देश उसने बस यही सुनाया
न नापो न तोलो बस सब के साथ एक सा हो लो
में भी तो सब पे धुप दे जाता हु
फरक नहीं दिखलाता हु
अँधेरे दूर भगा के उजालों का संगीत सुनाता हु
तुम भी करो दूर सब कालिमा
द्वेष दंश छलकपट की मत करो प्रपंच्मा
सौहार्ध्य से सब को गले लगा लो
मुस्कान से जीवन को सवारो..........
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